Monday, April 18, 2011
सीधी बात नो बकवास
भाई सीधी सी बात है की "अहंकार की चरम सीमा होती है जब कोई व्यक्ति (या संस्था या पार्टी ) विरोधी भी अपनी पसंद के ही बनाना चाहता हो" जैसे की कोंग्रेस विरोधी भी अपने आप ही चुन रही है. भ्रष्टाचार की सत्ता की मलाई चाटने वाले कांग्रेसी और उसके साथी इस डर में है की कहीं उनके सत्ता में से किसी कारण से हटने (जिसका अभी भी कोई चांस नहीं है) पर उनको सच में कोई फांसी पर ही न लटका दे. तो कुछ पहेले से ही इंतजाम कर लो की कम से कम सजा से बचा जाये . मित्रो यदि विरोधी भी कोई गाँधीवादी (ब्रांड) हो तो फिर वो माफ़ करने में भी अपनी "गाँधीवादी नीति" दिखाएगा जिस नीति के तहेत अंग्रेजो ने अपने विरोधी के रूप में भगत सिंह / नेताजी/ चंद्रशेखर / वीर सावरकर जी के बदले में अपनी ही पसंद के "महात्मा गाँधी" और "नेहेरू" को विरोधी चुना था. और उन्ही को भारत देश की तथाकथित आजादी दिलाने के ढोल पीटे गए थे. एक बार जरा सोचो की ऊपर बताय नामो में से यदि किसी राष्ट्रवादी और भारत माता प्रेमी को देश की आजादी दिलाने का सहेरा बंध जाता तो क्या आज देश की यह हालत होती ? तो क्यूँ मित्रो अंग्रेजो ने भी सुविधा के हिसाब से अपना विरोधी चुना और उसी के बल पर आज तक "परदे के पीछे से" भारत पर कब्ज़ा जमाये हुए है. देश को गाँधी और कांग्रेस गेंग की वजेह से न तो सच्ची आजादी मिली और न ही देश के वासिओ से हीनता का ही बोध हट पाया गया. इसी प्रकार से आप श्री अन्ना हजारे जी नामक मुखोटा देख ले. मुखोटा इसलिए कह रहा हूँ की मैं व्यक्तिगत रूप से अन्ना हजारे जी की इमानदारी और उनके समर्पण का कायल हूँ. परन्तु मित्रो आदमी में कहीं न कहीं "बड़ा और प्रसिद बनाने की इच्छा रह ही जाती है" और श्री अन्ना हजारे जी जिनका की मैं तहे दिल से आदर करता हूँ, इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध क्रांति की धार को कुंद कर रहे है और कांग्रेस को एक तरह से राहत ही पहुंचा रहे है. मित्रो इसका भी कारण है उनके दो तथाकथित "प्रवक्ता" जिसमे एक है भगवा ढोंगी, आर्यसमाज कपटी, नक्सली प्रिये, इसाई मिसनेरी अशिर्वादित और कांग्रेस पोषित श्री मान अग्निवेश जी और दुसरे है मीडिया की रचना (क्रियेशन) श्री केजरीवाल जी. जो की इस को क्रांति का नाम बता रहे है परन्तु यह तो क्रांति के नाम पर टाट के पेबंद लगा रहे है.की ! कहीं और कोई राष्ट्रवादी संस्था देश में फैले भ्रष्टाचार के बहाने इस फसल को न काटले तो कोंग्रेस ने अपना इंतजाम कर दिया है. अभी तक हमने तो दिग्भर्मित सिंह (दिग्विजय सिंह) का कोई बयान अन्ना जी के विरोध में नहीं सुना परन्तु स्वामी राम देव जी के एक रैली करने पर दिग्भर्मित सिंह जी ने बयान पर बयान दे दिए थे और राम देव जी के बाप दादो के भी अकाउंट चेक करने के लिए अपने और कांग्रेस प्रिये पत्रकार/नेता/नौकरशाह दौड़ा दिए थे, एक अर्धसैनिक बल के भूतपूर्व सैनिक से श्री राम देव जी पर जूते भी फिकवाए. परन्तु अभी तक "अन्ना हजारे" ब्रांड भ्रष्टाचार विरोध के झंडाबरदार स्वामी अग्निवेश के अकाउंट की जाँच की बात किसी भी कांग्रेसी भांड ने नहीं की है. कांग्रसी प्रचार ऐसा की अन्ना हजारे ब्रांड के अनशन को संघ का घोषित कर दिया मतलब चोर की दाड़ी में तिनका. और बड़ा कमाल यह है की जो भ्रष्टाचार की अखंड प्रतिमा "१० जनपथ" में विराजित है उसको मीडिया में ऐसा निरुपित किया जा रहा है जैसे की अन्ना हजारे के लिए उसके प्राण पखेरू हो रहे है. और सुश्री उमा भारती जिसका की भरष्टाचार से कोसो दूर का भी वास्ता नहीं उसे "भ्रष्टाचार के भी बाप चौटाला नामक नेता जी" से जोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है. चार दिन में ही मीडिया ने देश में क्रांति का ऐसा वातावरण तैयार कर दिया की बस इस आमरण अनशन टूटने के बाद देश में से भ्रष्टाचार ऐसे गायब हो जायेगा जैसे की गधे के सर से सींग. अरे हजारे जी यह मीडिया के चक्कर में मत फंसो खैर बाबा राम देव जी एक लाख लोग दिल्ली ले जाकर रेली करने पर भी मीडिया में एक झलक के लिए तरस गए थे और एक आप है जो हर तीसरी सेकेंड में मीडिया में हेड लाइन बन रहे है. मीडिया के जींस टीशर्ट में बैठे माइक थामे लड़के और लडकिया आपके दोनों कबूतरों का साँस थामे इंतजार कर रहे होते है की बस अब भ्रष्टाचार विरोधी कुछ बोले और तुरंत टेलीकास्ट किया जाये. कांग्रेस अपने ही घर में अपने ही तरीके से अपने ही लिए घरेलू नुस्खे से एक "जैस्मिन क्रांति" तैयार कर रही है की कहीं भारत देश की जनता इन्टरनेट की बावली अपने ही देश में सच में ही कोई क्रांति न कर दे . इस से पहेले अपने से ही एक क्रांति (भ्रान्ति) खुद ही कर दो. अब सच्चाई का दूसरा रुख देखो एक राष्ट्रवादी संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को ले लो, स्वयम सेवको के पैरो की एड़िया घिस गई गाँव गाँव और शहर शहर चलते , जीभ में छाले पड़ गए लोगो को समझाते समझाते परन्तु आज फिर वहीँ वापस (जीरो) पर है. अंग्रेजी में एक शब्द है "स्क्यर वन" और वो ही वो बन गए (मीडिया प्रभाव के संधर्भ में देखे) , मैं आर एस एस की सेवा पर व्यंग नहीं कर रह हूँ बल्कि एक महान विचारधारो को देशवासियो तक न पहुचने के लिए दर्द बायं कर रहा हूँ. स्वार्जनिक जीवन जीने वालो का एक ही काम होता है की जो विचारधारा उसको अच्छी लगी उसके लिए दुसरो को प्रेरित करे और राष्ट्र का निर्माण करे, और यह काम सत्ता में आने के ही बाद होता है, राष्ट्रीय स्वयम सेवक संघ हर बार इसी प्रकार सत्ता से दूर होता जा रहा है और होता जायेगा (यह सत्य है की संघ सत्ता के लिए कोई भी कार्य नहीं करता). परन्तु कांग्रेस एक तरफ ६० साल से सत्ता अपने हाथ में लेकर "भारतवर्ष" का अपने हिसाब से निर्माण (या कुनिर्माण) कर रही है दूसरी और आर एस एस जंगलो में तपस्या कर रहा है (और स्वयंसेवक सोच रहा है की एक दिन आर एस एस के आदर्शो पर भारत चलेगा ) आज भी आर एस एस कांग्रेस के ही षड्यंत्रों का शिकार हो कर जहाँ सारा देश अन्ना हजारे के नारे लगा रहा है तो दूसरी और आर एस एस कांग्रेस द्वारा गड़े गए "भगवा आतंकवाद" के प्रेत में उलझगया है. जिस आर एस एस ने ८० साल में भी अपने सात्विक, राष्ट्रवादी, हिंदुत्व चरित्र को देश के सामने ठीक से रख कर देशवासियो को प्रेरित नहीं कर पाया वो अन्ना हजारे और टीम ने अपने बारे में मीडिया (कांग्रेसी मेनेजमेंट) के सहयोग से चार दिन में कर दिया. सत्य यह है की मीडिया के पास वो शक्ति है वो साधन है जिस से बातो को देशवासिओ तक पहुँचाया और प्रेरित किया जा सकता है. और कोंग्रेस मीडिया का वो ही मेनेजमेंट कर रही है देश को अपने हित में (देश के हित में नहीं) जैसे चाहे मोड़ रही है. देश का दुर्भाग्य है की मीडिया ने प्रण कर ही लिया है की हर हालत में देश में भ्रष्टाचार जिन्दा रखना ही है तो फिर इन्तजार करो एक बड़ी क्रांति क्यूंकि यह अन्ना हजारे ब्रांड क्रांति सिर्फ एक सेफ्टी वाल्व का ही काम करेगी होना जाना कुछ नहीं. कांग्रेस ने अन्ना हजारे के माध्यम से "काले धन" पर से लोगो का ध्यान हटा कर एक "लोकपाल विधयक " पर टिका दिया. जैसे की पीछे तो कुछ हुआ ही नहीं बस यह लोकपाल बिल बना दो और सारे पाप कांग्रेसी भ्रष्टाचारियो के धुल गए और जनता को पिछले संसद सत्र की ही तरह जे पी सी, पी ऐ सी और पता नहीं कौन कौन सी और कमेटिया और इस बार फिर से जी एम् ओ, जोइंट ड्राफ्ट कमेटी और न जाने क्या क्या के जाल में देश की जनता को फिर से भ्रमित कर दिया. कभी प्रणव दा और कितने दादा को कमेटी में शामिल करना न करना का ड्रामा चला हुआ है, अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोधी ब्रांड गेंग ने कमेटी का अध्यक्ष बनाने के लिए नाम भी किसका प्रस्तावित किया है वो है जस्टिस संतोष हेगड़े जो कर्णाटक के लोकायुक्त थे और जिसने बीजेपी के मुख्यमंत्री की कुछ कहा सुनी हुई थी, मतलब घूम फिर कर सुई बीजेपी पर ही गई तब भी जनता को मेसेज वो ही जायेगा जो कांग्रेस चाहती है. भाई वहा ऐसी अदा पर तो वारा जाय. अन्ना हजारे भ्रष्टाचार विरोध ब्रांड के संचालक सभी को स्वीकृत्य श्री ऐ पी जे कलाम विशेष कर जो श्री मति सोनिया गाँधी जी को भी प्रिये है को क्यूँ नहीं कमेटी के अध्यक्ष के लिए नाम को प्रस्तावित करते. चलिए आप जाने आपका अनशन जाने, आपके दो (अग्निवेश और केजरीवाल) कबूतर जो प्रवक्ता के रूप में आपकी पाती को हर दस मिनट में धूप में बैठे पत्रकारों को दे रहे है जाने, कांग्रेसी जाने, देश के प्रधानमंत्री जाने, सोनिया-राहुल जाने, और भ्रष्ट नेता और उनके संरक्षक मीडिया जाने. परन्तु हम श्री अन्ना हजारे जी आपके भविष्य में होने वाले हश्र को साफ़ साफ़ देख सकता हैं , आप की जीवनी (महात्मा गाँधी, जयप्रकाश जी की तरह) किताबो में बस एक चेप्टर बना दी जाएगी, आपकी फोटो संसद में आपके कद से भी ऊँची लगा दे जाएगी और आपको "एक और महात्मा" (गाँधी) का अवतार मान कर जय जय होगी परन्तु फिर भी सत्ता अग्निवेश और केजरीवाल जैसे की ही चलेगी. इस बार जय भारत जय भारती नहीं (जो की मैं अमूमन अपने ब्लॉग के अंत में लिखता हूँ)इस बार जय कांग्रेस, जय मीडिया, जय कांग्रेसी मेनेजमेंट और जय जय जय भ्रष्टाचार और क्रांति को भ्रान्ति बनाने वालो के भी क्यूंकि कलमाड़ी, पवार, भनोट, राजा (२ जी वाले), करूणानिधि और परिवार, देशमुख, शीला दीक्षित, तेजेंद्र खन्ना, पवन बंसल ( बूथ अलोटमेंट चंडीगड़ ) पृथ्वीराज चौहान, हसन अली के नाम कुछ दिनों में परदे में चले ही जाने है जैसे कीलालू यादव, मुलायम यादव, मायावती, तेलगी, हर्षद महेता, राजुलिंगम, राजीव गाँधी, कुओत्रोच्ची, चौटाला परिवार के चले गए. मित्रो अभी भी राहत नहीं इन्तजार करो कल का और अपनी तड़प और संघर्ष का माद्दा बचाकर रखो क्यूंकि क्रांति अभी बाकी
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